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RICH DAD POOR DAD | रिच डैड पूअर डैड

  RICH DAD POOR DAD QUICK ADDITION | रिच डैड पुअर डैड क्विक एडिशन  Kya kisi ke 2 dad ho skte hain ?  lekin is book ke writer ke 2 dadi  the. unke rich dad unhe pese ki importance sikhate the or poor dad values ki . writer ko apne dono pita se kafi kuch sikhne ko mila jo vo is book me apne readers ke sath share krenge      • YE BOOK  KYUN  PADHNI CHAHIYE   ? ye book har us inshan ko padhni chahiye jo pesa kaam  kese krta hai sikhna chahta hai.        •  YE BOOK HUME KYA SIKHATI HAI ? 1. Ameer log pese ke liye kaam nhi krte balki pase unke liye kaam krta hai. 2. Ameer log assets me invest krte na ki liabilities  me. 3. Ameer logo ka peso ke liye mindset.        •  ISS BOOK KE WRITTER KON HAI ? ROBART TIRU KIYOSAKI ek american businessman or writer hai. Ab tak 26 se jyada motivational or self help books likh chuke hai unme se rich dad  poor dad sabse popular mani jati hai . ...

Think And Grow Rich Hindi Edition

 1. इंट्रोडक्शन   एक इंसान, जिसने थॉमस अल्वा एडियन के साथ बिज़नेस पार्टनरशिप करने की सोची। हमारे विचारों में अनलिमिटेड पॉवर होती है। अगर इन विचारों में पर्पस और मजबूत इरादे जुड़े हुए हों  तो आप अमीर बन सकते है और वह सब कुछ हासिल कर सकते है, जो आपने सोचा है। एडविन सी. बर्न्स ने यह खोज निकाला कि कैसे विचार यानी थॉट की पॉवर से अमीर बना जा सकता है। इस खोज में सक्सेस पहली कोशिश में हासिल नहीं हुई, बल्कि धीरे-धीरे हासिल हुई। इस महान रहस्य की खोज की शुरुआत, बर्न्स की उस इच्छा  से हुई, जो उन्हें महान एडिशन का बिज़नेस पार्टनर बनाने के लिए चैन से सोने नहीं दे रही थी । बर्न्स की उस विल पॉवर की सबसे बड़ी बात यह थी कि वह क्लियर थी कि उन्हें एडिसन के साथ काम करना है, ना  कि एडिशन के ऑफिस में काम करना है। आप बर्न्स की कहानी को ध्यान से सुनें, उनकी  सोच हकीकत में कैसे बदली? फिर आपको वे 3 रूल बेहतर समझ में आएँगे, जो आपको अमीर बनाते हैं। जब बर्न्स के मन में यह विचार कौंधा, तब वह इस हालत में नहीं थे कि वह इस पर कोई कदम उठा सके। उनके रास्ते में दो चुनौतियाँ थी, पहली यह कि एड...

High Performance Habits

   परिचय  क्या आपको जानना है कि हाई लेवल मैनेजर्स और सीईओ अपनी हाई परफोर्मेंस कैसे मेंटेन रखते है? अचीवेर्स और हाई परफ़ॉर्मर्स में डिफ़रेंस है. अचीवर्स सक्सेस पाने के लिए काफी हार्ड वर्क करते है. उन्हें बहुत से चेलेंज एक्सेप्ट करने पड़ते है और वो करते रहते है. लेकिन एक पॉइंट ऐसा भी आता है जब अचीवर्स मोमेंटम खो देते है. उनका करियर एक जगह पे आकर रुक जाता है, उनका सारा एन्थूयाज्म ओवर होने लगता है. प्रॉब्लम की बात तो ये है कि वो सक्सेस तो अचीव कर लेते है लेकिन उसे सस्टेन नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास ऐसे कोई प्रिंसिपल नहीं है जो उन्हें हायर गोल्स के लिए गाइड कर सके. मगर हाई परफ़ॉर्मर्स ये सब हैंडल कर लेते है और वो सब कुछ कर सकते है जो अचीवर्स करते है बल्कि उनसे कहीं ज्यादा कर सकते है.   यही नहीं हाई परफ़ॉर्मर्स अपनी एक्सीलेंट परफोर्मेंस मेंटेन रखते है और वो भी अपनी हैपीनेस और वेल बीइंग से कम्प्रोमाइज़ किये बगैर. तो आप को भी अगर हाई परफ़ॉर्मर बनना है तो क्या करेगे? कैसे आप लॉन्ग टर्म सक्सेस के डिमांड्स और पर्क्स हैंडल करेंगे? जी हां, इसका सीक्रेट है हाई परफोर्मेंस हैबिट्स लर्न क...