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High Performance Habits

परिचय 

क्या आपको जानना है कि हाई लेवल मैनेजर्स और सीईओ अपनी हाई परफोर्मेंस कैसे मेंटेन रखते है? अचीवेर्स और हाई परफ़ॉर्मर्स में डिफ़रेंस है. अचीवर्स सक्सेस पाने के लिए काफी हार्ड वर्क करते है. उन्हें बहुत से चेलेंज एक्सेप्ट करने पड़ते है और वो करते रहते है. लेकिन एक पॉइंट ऐसा भी आता है जब अचीवर्स मोमेंटम खो देते है. उनका करियर एक जगह पे आकर रुक जाता है, उनका सारा एन्थूयाज्म ओवर होने लगता है. प्रॉब्लम की बात तो ये है कि वो सक्सेस तो अचीव कर लेते है लेकिन उसे सस्टेन नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास ऐसे कोई प्रिंसिपल नहीं है जो उन्हें हायर गोल्स के लिए गाइड कर सके. मगर हाई परफ़ॉर्मर्स ये सब हैंडल कर लेते है और वो सब कुछ कर सकते है जो अचीवर्स करते है बल्कि उनसे कहीं ज्यादा कर सकते है.

 

यही नहीं हाई परफ़ॉर्मर्स अपनी एक्सीलेंट परफोर्मेंस मेंटेन रखते है और वो भी अपनी हैपीनेस और वेल बीइंग से कम्प्रोमाइज़ किये बगैर. तो आप को भी अगर हाई परफ़ॉर्मर बनना है तो क्या करेगे? कैसे आप लॉन्ग टर्म सक्सेस के डिमांड्स और पर्क्स हैंडल करेंगे? जी हां, इसका सीक्रेट है हाई परफोर्मेंस हैबिट्स लर्न करना. ब्रेडनन ब्र्चार्ड कई सालो से हाई परफ़ॉर्मर् की कोचिंग करते आ रहे है. उन्होंने उन्हें क्लोजली स्टडी किया है, इस फील्ड में उन्होंने इंटेंसिव रिसर्च और कई सारे इंटरव्यूज़ भी लिए है. ब्रेंडनन ने देखा कि हाई परफॉर्मर्स को डिफाइन करने वाली सिक्स मेन हैबिट्स होती है और यही चीज़ वो इस बुक के थ्रू अपने रीडर्स के साथ शेयर करना चाहते है. आप भी इन हाई परफोर्मेंस हैबिट्स को लर्न करेंगे और उन्हें अचीव करने के लिए बेस्ट प्रैक्टिस करेगे चाहे आप किसी भी बैकग्राउंड से हो. इस मोमेंट में आप पूरे हकदार है एक्स्ट्राओर्डीनेरी बनने के. 

 

हैबिट 1

सीक क्लेरियिटी 

क्लेरियिटी का मीनिंग है कि आपको पता होना चाहिए कि आप कौन है और आपके गोल्स क्या है. आपको ये क्वेश्चन बड़े बेसिक से लगेंगे लेकिन ये आपकी लाइफ में एक ग्रेट इम्पेक्ट डालते है. अपने बारे में क्लियर होने का मतलब है कि आप अपनी स्ट्रेंग्थ आर वीकनेसेस से वाकिफ है. और जब आप अपने बारे में क्लियर होते है तो आपको अच्छे से मालूम होते है कि क्या आपके लिए वैल्यूएबल है. खुद को अच्छे से जानना सेल्फ एस्टीम को बढाता है. एक हाई परफ़ॉर्मर बनने की जर्नी में आपको सेल्फ अवेयरनेस से स्टार्ट करना पड़ेगा. अपनी आइडेंटीटी, अपने वैल्यूज, अपने गुड ट्रेटर्स और बेड ट्रेटर्स सब में क्लियरिटी रखे क्योंकि ये लाइफ में पोजिटिव आउटलुक की कीज़ है.

 

अब नेक्स्ट चीज़ जो आपको करनी है वो ये कि अपने गोल्स पहचाने. आपके माइंड में ये क्लियर होने चाहिए. सबसे इम्पोर्टेन्ट बात कि आपके गोल्स चैलेंजिंग होने चाहिए. क्योंकि चैलेंजिंग गोल्स आपके काम में और ज्यादा एनर्जी, एन्जॉयमेंट और सेटिसफिकेशन लायेंगे. ऐसा आपके साथ कितनी बार हुआ कि जब आपको काम में फ्रस्ट्रेशन हुई हो और आप ने खुद को डिस्क्नेटेड फील किया हो ? या अपने खुद को रिमाइंड कराया हो कि मै कौन हूँ और मेरे गोल्स क्या है? आप इस बारे में जो कर सकते है वो है” एन्विजन द फ्यूचर फोर ” 

 

फ्यूचर फोर क्या है?

आपके फ्यूचर सेल्फ, सोशल इंटरेकशन, सर्विस और स्किल्स के लिए ये आपके विजंस है. तो पहले आपके फ्यूचर सेल्फ की बात करते है. एक फेमस सेयिंग है” नो दाईसेल्फ” इससे भी बढ़कर हाई परफ़ॉर्मर्स खुद को इमेजिन कर सकते है. अगर कोई आपसे पूछे कि “आप खुद को आज से 10 साल बाद कहाँ देखना पसंद करेंगे?” इस सवाल का कोई इमिडियेट आंसर है क्या आपके पास? लेकिन हाई परफोर्मर्स इस सवाल का ईजिली और कांफिडेंटली जवाब दे सकते है क्योंकि उन्हें क्लियरली  पता होता है कि वे क्या बनना चाहते है. अपने फ्यूचर सेल्फ के लिए उनके पास एक वेल थोट आईडिया होता है और वो इसके लिए काम भी कर रहे होते है. नेस्ट चीज़ फ्यूचर फोर में सोशल इंटरेक्शन है.

 

हाई पर्फोरमर्स में हाई सोशल इंटेलिजेंस और सिचुएशनल अवेयरनेस होती है. जिसका मतलब है कि जब वो दुसरे से इंटेरेक्ट करते टाइम उनमे एक क्लेरिटी होती है. उन्हें अपनी पोजिशन के बारे में क्लीयरली पता होता है और ये भी कि सामने वाले से कैसे डील करना है. ज़रा अपने लास्ट फोन कॉल याद करो, क्या आपको लगता है कि आपने राईट टोन में सामने वाले से बात की थी ? अब याद करो किसी के साथ अपना लास्ट कंफ्लिक्ट, क्या आपने तब अपने वैल्यूज़ के बारे में सोचा था ? कनवेर्सशन के दौरान क्या आपने एफर्ट किया कि आप एक बैटर लिस्नर बने ? हाई परफोरमर्स जो कुछ भी करते है उसमे एक क्लियर इंटेंशन रहता है.

 

वे पोजिटिव इमोशंस देना चाहते है…


हैबिट 2 

जेनेरेट एनर्जी 

हाई परफॉरमर्स के लिए एनर्जी सिर्फ फिजिकल लेवल तक लिमिट नहीं होती है. वे एक्टिव बॉडी मेंटेन करते है लेकिन उन्हें पोजिटिव इमोशंस और मेंटल आल्टरनेस की इम्पोर्टेंस पता होती है. हाई परफोरमर्स एक होलिस्टिक वे में एनर्जी जेनेरेट करते है. वे फिजिकली, मेंटलीऔर इमोशनली फिट रहना चाहते है ताकि बहुत सी रिस्पोंसेबिलिटीज़ उठा सके. जब आपकी एनर्जी लो होती है तो ये आपके पूरे लाइफस्टाइल को अफेक्ट करती है, आप डाउन फील करते है, चैलेंजेस का मुकाबला नहीं कर पाते. आपको लगता है जैसे लाइफ बस कट रही है. अगर आपकी एनेर्जी लो है तो लोग आपको ट्रस्ट नहीं करेंगे, आपको उनका सपोर्ट नहीं मिलेगा और कोई आपसे ना तो कुछ खरीदेगा ना ही आपको फोलो करेगा.

 

ब्रेंडनन बुर्चार्ड ने अपनी रीसर्च में पाया कि सीनियर एक्जीक्यूटिव्स और सीईओ हमेशा हाई एनर्जी से भरे है. किसी भी कम्पनी में इन लोगो की एनेर्जी लेवल सबसे हाई रहता है इतना कि उन्हें किसी प्रो एथलीट से कम्पेयर किया जा सकता है. हाई एनेर्जी इंसान को और भी हेप्पीनेस और स्कसेस से भर देती है जैसे कि सीईऔ और क्वार्टरबैक्स. आप भी अपनी लाइफ में ये अचीव कर सकते है. किसी पॉवर प्लांट को इमेजिन करो जो एनेर्जी ट्रांसफॉर्म करता है. आपको भी पॉवर प्लांट के जैसा होना चाहिए, आप भी और ज्यादा एनेर्जी जेनेरेट कर सकते है. अपनी लाइफ में जॉय, एक्साईटमेंट, मोटिवेशन और लव के लिए किसी और का वेट मत करो, ये सारे पोजिटिव इमोशंश आपसे ही स्टार्ट होते है. ये पोसिबल है कि जब आप चाहे तब हाई एनेर्जी जेनेरेट कर सकते है.

 

और ये करने के लिए आप दिए स्टेप्स फोलो कर सकते है. फर्स्ट वाल है” रिलीज़ टेंशन, सेट इंटेंशन”. ब्रेंडनन बुर्चार्ड ने बहुत से हाई परफॉरमर्स को कोच किया है. उन्होंने उनके साथ क्लोजली काम किया है. उन्होंने ओब्ज़ेर्व किया कि सीईओ और बाकि के हाई परफोरमर्स की लो एनेर्जी की वजह पूअर ट्रांजिशन है. ट्रांजिशन क्या है? ये तब होता है जब आप एक टास्क से दुसरे में चेंज करते है. जिस टाइम आप बेड से नीचे उतरते हो वो ट्रांजिशन है क्योंकि आप स्लीप मोड से वर्क मोड में शिफ्ट होते है. आप बाथ लेते है, तैयार होते है. शायद आपको अपने बच्चो को भी स्कूल के लिए रेडी करना पड़ता हो. फिर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट लेकर ऑफिस पहुँचते है. ये सारे काम भी ट्रांजिशन है. अपनी डेस्क में काम करते करते आप मीटिंग अटेंड करने चले जाते है. ये एक और ट्रांजिशन है.

 

जब आप घर लौटकर अपनी फेमिली के साथ टाइम स्पेंड करते है तो एक एम्प्लोयी के रोल से डैड या मोम के रोल में शिफ्ट हो जाते है. उन सारे ट्रांजिशन के बारे में सोचो जो आप दिन भर में करते हो. अब इमेजिन करो कि किसी मीटिंग में आपकी अपने बॉस या कलीग से कोंफ्लिक्ट हो गया. जिसके बाद आपको अपनी डेस्क पे आके और ज्यादा पेपर वर्क करना होता है. अपने नेक्स्ट टास्क में शायद आप अपनी नेगेटिव एनर्जी पास करे और अगर आपने ब्रेक नहीं लिया तो आप वर्स्ट फील करेगे. इस चक्कर में आप अपना प्रेजेंस ऑफ़ माइंड खो बैठेंगे फिर जब आप घर लौटेंगे तो इतने थके होंगे कि उनके साथ टाइम स्पेंड करने का मन ही नहीं करेगा. इसलिए ये सब आपके साथ ना हो इसके लिए आपको अपनी टेंशन रिलीज़ करनी पड़ेगी.

 

अपने नेक्स्ट टास्क में मूव करने से पहले थोडा रेस्ट करे. आप अपनी आँखे क्लोज करके रिलेक्स होने की कोशिश कर सकते है. डीप ब्रीथ ले. एक बार ये टेंशन रिलीज़ हो जाए तो आप इंटेंशन सेट कर सकते है. उन टास्क के बारे में सोचो जो आपको आगे करने है. क्या है जो आपको अचीव करना है? आप इसे कैसे पोजिटीवीटी के साथ कर सकते है? एनेर्जी जेनेरेट करने के लिए नेक्स्ट स्टेप है” ब्रिंग द जॉय”. पोजिटिव इमोशन जैसे जॉय आपकी लाइफ में काफी कुछ चेंज कर सकता है. रीसर्च से पता चला है कि जॉय हाई परफॉरमेसं का इंडीकेटर है. जो लोग पोजिटिव इमोशन मेंटेन रखते है, हेल्दिय्रर होते है. उनके रिलेशनशिप भी बैटर होते है और उनकी इनकम भी. जो लोग अपनी परफोरमेंस में जॉय लेकर आते है, ज्यादा बैटर परफोर्म करते है.

 

ऐसे लोग ज्यादा कम्पनसेट होने के साथ साथ दूसरो की हेल्प भी करते है. न्यूरोसाइन्टिस्ट ने पता लगाया है कि जॉय और बाकी पोजिटिव इमोशंश बहुत तेज़ी से नए सेल्स डेवलप करती है. दूसरी तरफ नेगेटिव इमोशंस हमारे सेल्स को डिस्ट्रॉय करने लगती है. ऐसा नहीं है कि हाई परफोर्मर्स नेगेटिव इमोशंस नहीं फील करते. वो भी सेड फील करते है, उन्हें भी थकान होती है. लेकिन डिफ़रेंस ये है कि वे बाकियों से जल्दी बाउंस बैक करते है. उनमे नेगेटिव एनर्जी से कोप अप करने की एबिलिटी होती है. वे अपने थोट्स डाइरेक्ट कर सकते है और पोजिटिव स्टेट पर लौट आते है. 

हैबिट 3 

रेज़ नेसेसिटी 

रेज़ नेसेसिटी का मतलब है कि हमेशा एक्शन लेने की नीड फील करो. आपको हर सुबह उठना है, आपको अपनी सारी रिस्पोंसेबिलिटीज़ निभानी है. आपको अपना बेस्ट परफॉर्म करना है. जब आप नेसेसिटी रेज़ करते है तो आप फिर बेस्ट के लिए या फिर चीजों को बैटर होने की विश नहीं करते. आपको बस एक्ट करना होता है. आपको कुछ करने की नीड फील होती है. नेसेसिटी आपको आगे मूव करने के लिए फ़ोर्स करती है. अगर आप ऐसा ना करे तो लगेगा कि आप खुद को डाउन फील करते है. आपको लगेगा कि आप अपने स्टैण्डर्ड के हिसाब से नहीं चल रहे, आप अपनी ड्यूटीज नही निभा पा रहे. तो इसलिए नेसेसिटी एक स्ट्रोंग मोटिवेशन है. ये आपके अंदर एक अर्जेंसी क्रियेट करती है.

 

ब्रेंडनन बुर्चार्ड अक्सर हाई परफोरमर्स से ये क्वेश्चन पूछते है” आप इतना हार्ड वर्क क्यों करते है? आप कैसे इतने फोकस्ड और कमिटेड रहते है ? इस पर ब्रेंडनन को हमेशा सेम आंसर मिलता है. हाई परफोरमर्स उन्हें बताते है कि ये उनकी पेर्सोनेलिटी का एक पार्ट है. क्योंकि वे इससे अलग वे कुछ सोच भी नहीं सकते है. उन्हें लगता है जैसे कि वो इसी चीज़ के लिए बने है. उनके एक्श्न्स में एक नेसेसिटी होती है और उन्हें तुरंत एक्ट करना ही होता है क्योंकि लोग उनसे उम्मीद लगाए बैठे है. वे कोई अपोरच्यूनिटी मिस नहीं करना चाहते क्योंकि वे बाद में उन चीजों के लिए रिग्रेट नहीं करना चाहते जो उन्होंने मिस कर दी. तो ऐसी क्या प्रेक्टिस है जो आप नेसेसिटी रेज़ करने के लिए फोलो कर सकते है?

 

फर्स्ट प्रैक्टिस है” नो व्हू नीड्स योर ए गेम”. हाई परफोरमर्स हमेशा खुद से पूछते है कि क्या वे अपना बेस्ट टास्क कर रहे है? अगर आप अपने ए गेम में है तो चाहे टास्क कितना ही बेसिक हो, आप अपना ए ही देंगे. ब्रेंडनन बुर्चार्ड अपने क्लाइंट्स को ये टेक्नीक सिखाते है. इसे “डेस्क ट्रीगर” बोलते है. जब भी आप काम करने अपने डेस्क में बैठे, खुद से एक सवाल पूछे” अभी मेरे ए गेम में किसको मेरी सबसे ज्यादा नीड है”? ये एक सिम्पल टेक्नीक है लेकिन ये आपको बैटर परफोर्म करने के लिए रीमाइंड कराती रहेगी क्योंकि लोगो की आपसे एक्सपेक्टेशन है. सेकंड प्रैक्टिस जो आप अप्लाई कर सकते है, वो है” अफर्म द व्हाई” अफर्म का मीनिंग है कांफिडेंस के साथ डिक्लेयर करना. “व्हाई” उन गोल्स और पर्पज़ को रेफर करता है जो आपके एक्शन के पीछे होते है.

 

हाई परफॉरमर्स का हर काम के पीछे हमेशा एक क्लियर पर्पज रहता है जिसे वो प्राउडली डिक्लेअर भी करते है. अगर आप किसी को जानते है जो काफी एथलेटिक है तो नोटिस करना कि अपना वर्कआउट रूटीन डिस्कस करके उन्हें कितनी ख़ुशी होती है. जो वो करते है उसमे उनको बड़ा मज़ा आता है और इसलिए वो इसे हमेशा अफर्म करते है. हालाँकि हाई परफॉरमर्स अपने गोल्स को लेकर हमेशा ही कॉंफिडेंट रहते है लेकिन वे ये नही डिक्लेअर करते कि वे राईट है क्योंकि ये लो न्यू अप्रोचेस के लिए भी ओपन रहते है जो उनकी परफोरमेंस इम्प्रूव कर सके.

 

नेसेसिटी रेज़ करने की थर्ड प्रैक्टिस है “ लेवल अप योर स्क्वाड”. ये सबसे ज़रूरी एडवाइसेस में से एक है जो ब्रेंडनन बुर्चार्ड अपने क्लाइंट्स को देते है. हाई परफॉरमेंस के लिए आपको पोजिटिव और सक्सेसफुल लोगो के बीच रहना होगा क्योंकि यही आपका स्क्वाड बनेंगे. तो उनके साथ टाइम स्पेंड करे, उनके साथ कम्यूनिकेट करे ताकि आप हाई परफॉरमेंस पिक कर सके. जो लोग आपको नेगेटिव इमोशंश देते है उनसे दूर रहे, ऐसे नए और इंट्रेस्टिंग लोग जो आपसे ज्यादा एक्सपरटीज़ है, उनसे मिलकर आप अपना स्क्वाड लेवल अप कर सकते है.

 

हैबिट 4

इनक्रीज प्रोडक्टीविटी 

क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि आप अपने काम में बहुत बिजी है फिर भी आप प्रोग्रेस नहीं कर पा रहे? रीजन ये हो सकता है कि शायद आप जो कर रहे है, आपकी पेर्सोनेलिटी से मैच ना करता हो यानी आप जो है उसके साथ आपका काम लाइन में ना हो, जो आपकी एबिलिटी ना हो फिर भी आप उसे करने में बिजी हो. क्या आप बहुत ज्यादा काम की वजह से बीमार रहने लगे है? ये पोसिबल है कि आप अपनी हेल्थ और वेल बीइंग का ख्याल रखने के साथ प्रोडक्टिव भी बने रहे. कई हाई परफॉरमर्स ये प्रूव कर सकते है. हार्ड वर्क करने के बावजूद वे स्ट्रेस फील नहीं करते. क्योंकि उन्हें अपनी रिस्पोंसेबीलीटीज़ में ही अपनी हेप्पीनेस और फुलफिलनेस नजर आती है.

 

ऐसे कई तरीके है जिससे आप अपने लव वंस और अपना ख्याल रखने के साथ ही खुद को प्रोडक्टिव भी रख सकते है. और यही चीज़ आप इस चैप्टर से सीखने वाले है. इसके लिए आपको कोई सुपर ह्यूमन या ओवर कैफिनेट होने की ज़रूरत नहीं है. बस ये प्रैक्टिस फोलो करे. फर्स्ट वाला है” इनक्रीज द आउटपुट्स देट मैटर्स”. क्या आप हमेशा अपने काम के टाइम अपनी इमेल्स ऑर्गेनाइज करते है? स्टडीज से प्रूव हुआ है कि लोग अपने ऑफिस आवर्स के 28% सिर्फ अपनी इमेल्स सॉर्ट आउट करने में वेस्ट करते है. सर्च फंक्शन यूज़ करना सब फ़ोल्डर्स क्रियेट करने से ज्यादा एफिशिएंट है.

 

अपनी इ मेल्स मैनेज करना असल में कोई रियल वर्क नहीं है. और ना ही अपनी फाइल्स क्लियर अप करना कोई प्रोडक्टिव काम है या फिर मीटिंग अटेंड करना या किसी कलीग की फाल्स इमरजेंसी में हेल्प करना. आपको बस एक चीज़ पे फोकस करना है और वो है “प्रोलिफिक क्वालिटी आउटपुट” या पीक्यूओ मेकिंग. प्रोलिफिक क्वालिटी आउटपुट बेस्ट आउटपुट है जो आप अपने काम में प्रोड्यूस कर सकते है. आपका पीक्यूओ क्या है, ये मालूम करो फिर उस पर अपनी सारी अटेंशन और एफोर्ट्स लगा दो. अपने पीक्यूओ के साथ कंसिस्टेंसी आपको काफी प्रोडक्टिव बना देगी. अगर कोई टास्क आपके पीक्यूओ का पार्ट नहीं है तो बैटर होगा कि उसे छोड़ दे.

 

आपकी प्रोलिफिक क्वालिटी आउटपुट के थ्रू लोग आपको जानेंगे और याद रखेंगे. बीथोवन और मोजार्ट अपनी एक्सेस्प्श्नल कम्पोजीशन्स के लिए फेमस है. बीटल्स ने एक के बाद एक ग्रेट सोंग्स की एल्बम रीलीज़ की थी. यहाँ और भी एक्ज़म्प्ल्स है. अगर आप कोई ब्लोगर है तो आपका पीक्यूओ होगा कंटेंट. आपको अपनी राइटिंग पर ज्यादा फोकस करना होगा और ज्यादा वैल्यू देनी होगी. अगर आप कोई कप केक्स बेचने वाले है तो आप कोई दो बेस्टसेलर्स चूज़ करके उन्हें ज्यादा क्वांटिटी में बेक करके बेच सकते है. स्टीव जॉब्स को भी अपने कुछ एप्पल प्रोडक्ट्स ड्राप करने पड़े ताकि वो अपने बेस्ट प्रोडक्ट्स पे फोकस कर सके. तो आप भी अपना खुद का पीक्यूओ पता करो और फिर अपनी सारी एनर्जी उसे क्रियेट करने में और इम्प्रूव करने में लगा दो.

 

तो क्या आप उस टाइप के है जो किसी भी मूव से पहले प्लान्स बना लेता है ? या फिर उस टाइप के जो बस शुरू हो जाता है? अगर आप कोई बिजनेस स्टार्ट कर रहे है तो इसे चलाने में आपका टैलेंट ही काफी होगा लेकिन जैसे जैसे आपका बिजनेस ग्रो करता जाएगा, चीजों को हैंडल करना थोडा मुश्किल होता जायेगा. क्योंकि आप कई सारे टास्क में खोकर रह जायेंगे. इसलिए ये ज़रूरी है कि” चार्ट योर फाइव मूव्स”. ये प्रोडक्टीवीटी इनक्रीज करने की सेकंड प्रैक्टिस है. आप सिर्फ अपनी एबिलिटी के भरोसे रहकर बगैर कोहैबिट 5

डेवलप इन्फ़्लुएन्श 

क्या आपको कभी लगा कि आप लोगो को इन्फ्लुएंन्श करते है? क्या आप उन्हें अपनी बातो का यकीन दिला सकते है? क्या लोग आपको फोलो करेंगे? इन्फ्लुएंस वो एबिलिटी है जब “आप दुसरे लोगो के बिलिफ्स और बिहेवियर को अपने हिसाब से शेप करे”. आपकी खुद की पेर्सोनेलिटी कैसी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. चाहे आप इंट्रोवर्ट हो तब भी आप दूसरो को इन्फ्लुयेंश कर सकते है. शायद आपको लगता होगा कि किसी को इन्फ्लुयेंश करना तो एकदम इम्पोसिबल है लेकिन शायद आप पूछना भूल गए हो. ऐसे भी लोग है जो आपकी हेल्प करना चाहे लेकिन रिजेक्शन या जजमेंट का डर आपको हेल्प लेने से रोक लेता है. तो जब तक आप अपने को वर्कर से कुछ पूछेंगे नहीं आपको कैसे पता चलेगा कि आप कितने इन्फ्लुयेंशल है?

 

“यू नेवर नो अंटिल यू आस्क”  अपने बच्चे, पार्टनर, फ्रेंड या बॉस से रिक्वेस्ट करके तो देखे. फर्स्ट टाइम अगर फेल भी हो गए तो हार मत मानो, ट्राई करना मत छोड़ो. धीरे धीरे आप बातचीत में बैटर होंगे और लोगो को आपके आईडियाज समझने का मौका मिलेगा. कुछ और प्रैक्टिस है जिनसे इन्फ्लुयेंश डेवलप हो सकती है. फर्स्ट प्रैक्टिस है लोगो को सिखाये कि “ हाउ टू थिंक” इमेजिन करो कि आपका एक 7 साल का बेटा है. वो अपना मैथ होम वर्क कर रहा है. आप देखते है कि वो होमवर्क करते हुए फ्रस्ट्रेट हो रहा है. वो आपसे आकर बोलता है” आई हेट मैथ्स”. तब आपका रिएक्शन क्या होगा ?

 

आप मैथ्स के लिए उसकी थिंकिंग इन्फ्लुयेंश कर सकते है ताकि वो इसमें इम्प्रूव करे और इसे एन्जॉय कर सके.क्योंकि आपके पास ये अपोर्च्यूनिटी है कि उसके थोट्स डाइरेक्ट करके मैथ्स को उसके लिए एक मजेदार सब्जेक्ट बना दे. ब्रेंडनन बुर्चार्ड अपने हाई लेवल क्लाइंट्स को उनके लोगो के साथ कम्यूनिकेशन करने के लिए एडवाइस करते है क्योंकि उनमे ये एबिलिटी है कि अपने एम्प्लोयीज़ की थिंकिंग डायरेक्ट कर सके. लीडर्स को भी चाहिए कि वे कॉम्पटीटर्स और मार्किट प्लेस को लेकर अपने एम्प्लोयीज़ के थोट्स डायरेक्ट करे. यही चीज हाई परफोर्मिंग मैनेजर्स को बाकी लोगो से सेपरेट करती है. वो अपने अंडर काम करने वालो को कुछ बड़ा सोचने के लिए इन्फ्लुयेंश करते है.

 

इमेजिन करो आप ऐसे ही एक मैनेजर है तो आपको अपनी टीम को बताना पड़ेगा” अगर हमे बेस्ट बनना है तो हमें अपने बारे में ऐसे सोचना होगा....अपने कॉम्पटीटर्सको लेकर ऐसे सोचना है.. अपने फ्यूचर और वर्ल्ड के बारे में ऐसे सोचे...” एक दूसरी प्रैक्टिस जो इन्फ्लुयेंश डेवलप करती है वो ये है कि लोगो को ग्रो करने के लिए चैलेंज करे. ये शायद इस बुक की सबसे डिफिकल्ट प्रैक्टिस होगी जो आप सीखने वाले है और इम्प्लीमेंट में बहुत मुश्किल भी. जब आप लोगो को चैलेन्ज करेंगे, वो शायद डिफेंसिव मोड में आ जाए और बोलने लगे कि” जाओ अपना काम करो”हाई पर्फोरमर्स बड़े सब्टल तरीके से अपने आस पास के लोगो को चैलेन्ज करते है. क्योंकि वो पहले ही उन्हें जता देते है कि उनका इंटेंशन सिर्फ हेल्प करना है,ओफेंस करना नहीं. ऐसा करते वक्त वे अपनी टोन पोलाईट रखते है.

 

तो हाई परफॉरमर्स ऐसा क्यों करते है? क्यों वे लोगो को ग्रो होने के लिए चैलेन्ज करते है? कोबे ब्रायंट ने एक बार कहा था कि” सबसे इम्पोर्टेन्ट चीज़ है लोगो को इंस्पायर और ट्राई करना ताकि वे जो भी करना चाहे, अपना बेस्ट करे” हाई परफोरमर्स दूसरो को भी हाई परफॉरमेंस के लिए एंकरेज करना चाहते है. वे उन्हें ओनर और रिस्पेक्ट के साथ चैलेन्ज देते है. और साथ ही उनकी हेल्प करने का सिंसियर पर्पज बताना भी नहीं भूलते. इस तरह से ये चैलेन्ज एक इन्सिपिरेशन में बदल जाता है. 

 ई प्लान किये स्टार्ट कर सकते हो लेकिन ये बस एक पॉइंट तक ही काम करेगा. जब कॉम्पटीशन का टाइम आएगा या जब टास्क मिलेंगे तब आपकी परफोर्मेंस फेल होने लगेगी. आपका बिगेस्ट गोल क्या है?

 

आपको कई सारे चैलेंजेस से गुजरना पड़ेगा इसलिए आपको एक स्ट्रेटेजी चाहिये, आपको स्टेप बाई स्टेप प्लान करना है. “टू बीकम अ हाई परफॉर्मर रिक्वायर्स थिंकिंग मोर बिफोर एक्टिंग” आपकी एम्बिशन क्या है? आप लाइफ से क्या चाहते है? आपका ग्रेटेस्ट ड्रीम क्या है? अपने माइंड में ये सब क्लियर कर लो. एक बार आप जब क्लियर कर लोगे तो आप स्टार्ट कर सकते है” चार्ट योर फाइव मूव्स” फाइव मेजर मूव्स के बारे में सोचो जो आपको अपने गोल्स तक ले जायेगे. नेक्स्ट आपको इन फाइव बिग मूव्स को स्मालर एक्टिविटीज़ और डेडलाइन्स में ब्रेक करना है फिर आप उन्हें कैलेंडर में चार्ट कर सकते है. “चार्ट योर फाइव मूव्स” आपके काम की चीज़ है फिर जो भी चाहे आपका काम या करियर हो.

 


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